जीएसटी एक नया कानून है, ई वे बिल जीएसटी के अंतर्गत लाई गई एक नई व्यवस्था है, जिस कारण लोगों के मन में अनेक प्रकार के भ्रांतियां और संदेह हैं...
जीएसटी एक नया कानून है, ई वे बिल जीएसटी के अंतर्गत
लाई गई एक नई व्यवस्था है, जिस कारण लोगों के मन में अनेक प्रकार के भ्रांतियां और
संदेह हैं, जिस कारण से उनके द्वारा अनजाने में ही नियमों का उल्लंघन हो जाता है,
और अनावश्यक का अर्थदंड/पेनाल्टी देनी पड़ती है, यहां ईवे बिल के संबंध में
सामान्य रूप से होने वाले संदेह और भ्रांतियों का निराकरण करने का प्रयास किया गया
है, जो निश्चित रूप से आपके लिए उपयोगी होगा-
(1) ई वे बिल कौन बनायेगा?
(2) क्या 50 किलोमीटर से कम दूरी में ई वे बिल आवश्यक नहीं है?
(3) जॉब वर्क का ईवे बिल कैसे बनेगा?
(4) हैंडीक्राफ्ट आइटम का ईवे बिल कैसे बनेगा?
(5) राज्य सरकारों के विशेष नियम / प्रांतीय परिवहन में ईवे बिल?
(6) अपंजीकृत व्यक्ति के लिए ई वे बिल?
(7) क्या वजन कराने के लिए जा रहा रहे माल का ई वे बिल बनेगा
(8) क्या ई-वे बिल से टैक्स निर्धारित होगा
(1) ई वे बिल कौन बनायेगा?
जो व्यक्ति माल
का परिवहन करने का उत्तरदायी है, वही ई वे बिल बनाएगा, चाहे वह पंजीकृत आपूर्तिकर्ता
हो अथवा पंजीकृत प्राप्तकर्ता। यदि कोई ट्रांजैक्शन पंजीकृत और पंजीकृत व्यक्तियों
के बीच में हो रहा है तो, पंजीकृत व्यक्ति की ई वे बिल बनाने की जिम्मेदारी होगी।
(2) क्या 50 किलोमीटर से कम दूरी में ई वे बिल आवश्यक नहीं है?
यह भ्रम कई
व्यापारियों में है कि, 50 किलोमीटर से कम की दूरी या शहर के
भीतर माल का परिवहन करने के लिए ईवे बिल की आवश्यकता नहीं है, यह बात बिल्कुल
निराधार है। इसे आप अच्छी तरह से समझ ले की ईवे बिल के प्रावधानों में 50
किलोमीटर का जो जिक्र आया है वह केवल 2 मामलों में आया है।
➤पहले मामले में यदि व्यापारी द्वारा माल आगे
ट्रांसपोर्ट होने के लिए ट्रांसपोर्टर के पास भेजा जा रहा है, तथा व्यापारी के
व्यापार स्थल से ट्रांसपोर्टर के गोदाम की दूरी 50 किलोमीटर से कम
है, और दोनों एक ही राज्य में स्थित है, तो ऐसी स्थिति में व्यापारी ई वे बिल का
पार्ट-A भर कर यूआईएन (यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर) जनरेट करेगा और उस यूआईएन के
आधार पर वह माल को ट्रांसपोर्टर के पास भेजेगा, जिस पर ट्रांसपोर्ट आगे वाहन
संख्या डालकर ई वे बिल को पूरा करेगा और ईवे बिल नंबर जनरेट करेगा।
➤दूसरी स्थिति तब
आती है, जब माल ट्रांसपोर्टर के गोदाम पर आ गया है, और अब ट्रांसपोर्टर के द्वारा
उसकी डिलीवरी व्यापारियों को की जाएगी। ऐसी
स्थिति में यदि ट्रांसपोर्टर के गोदाम से व्यापारी के व्यापार स्थल तक दूरी 50
किलोमीटर से कम है, और दोनों एक ही राज्य में स्थित हैं (अर्थात एक राज्य से दूसरे
राज्य की सीमा क्रॉस नहीं की जाएगी)।
ऐसी स्थिति में जिस छोटे वाहन से माल डिलीवरी
के लिए जाएगा, उसे ई वे बिल में अपडेट करने की आवश्यकता नहीं है। अर्थात माल जिस
वाहन से ई वे बिल के द्वारा ट्रांसपोर्टर के गोदाम तक आया है, उसी ई वे बिल के
द्वारा माल व्यापारी के व्यापार स्थल तक चला जाएगा, उस ईवे बिल के माल को जिस छोटे
वाहन के द्वारा ट्रांसपोर्टर डिलीवरी कर रहा है, उसके नंबर को अपडेट करने की
आवश्यकता नहीं होगी।
लेकिन यहां ध्यान देने योग्य बात यह है की, वह ईवे बिल जिसके
द्वारा माल ट्रांसपोर्ट के पास आया है उसकी वैधता होनी चाहिए, अर्थात कि वह ईवे
बिल वैधता की निर्धारित तिथि के भीतर का होना चाहिए।इस प्रकार 50
किलोमीटर जैसी कोई छूट ई वे बिल के प्रावधानों में नहीं है।
(3) जॉब वर्क का ईवे बिल कैसे बनेगा?
जॉब वर्क के
संबंध में भी लोगों में तरह तरह के भ्रम है। यहां इसके निराकरण का प्रयास किया जा
रहा है। यदि माल एक राज्य से दूसरे राज्य में जॉब वर्क होने के जा रहा है, या जॉब
वर्क हो कर आ रहा है, तो उस पर ₹50000
मूल्य की सीमा लागू नहीं होती, अर्थात भले ही माल का मूल्य ₹50000 से कम है, उसका ई वे बिल बनाया जाएगा,
और ई वे बिल माल भेजने वाला बनाएगा, यदि जॉब वर्कर पंजीकृत है तो वह भी उसका ई वे
बिल बना सकता है।
लेकिन यदि माल जॉब
वर्क होने के लिए राज्य के भीतर ही जा रहा है, तो ऐसी स्थिति में वही नियम लागू
होंगे, जो सामान्य माल के परिवहन पर लागू होते हैं अर्थात ₹50000 से अधिक मूल्य के माल का ई वे बिल
बनाया जाएगा।
(4) हैंडीक्राफ्ट आइटम का ईवे बिल कैसे बनेगा?
हैंडीक्राफ्ट
आइटम में यदि माल एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहा है तो, वहां भी ₹50000 की सीमा लागू
नहीं होती, अर्थात यदि माल ₹50000 से
कम मूल्य का भी है, तो भी उसका ईवे बिल बनाया जाएगा और यदि हैंडीक्राफ्ट का
व्यापार करने वाला व्यापारी अपंजीकृत है, तब भी माल का ई वे बिल बनाया जाएगा।
इसी प्रकार यदि हैंडीक्राफ्ट गुड्स का माल राज्य
के भीतर ही परिवहन किया जा रहा है तो, ऐसी स्थिति में वही नियम लागू होंगे, जो सामान्य
माल के परिवहन पर लागू होते हैं अर्थात ₹50000 से
अधिक मूल्य के माल का ई वे बिल बनाया जाएगा।
(5) राज्य सरकारों के विशेष नियम / प्रांतीय परिवहन में ईवे बिल?
कुछ राज्य
सरकारों द्वारा ई वे बिल बनाने की मूल्य सीमा को बढ़ाकर एक लाख कर दिया गया है। यहां
यह ध्यान देने योग्य बात है कि, यदि किसी राज्य सरकारों ने अपने राज्य में ईवे बिल
के सम्बन्ध में कोइ विशेष नियम बनाया है, तो वह केवल प्रांतीय (उस राज्य के भीतर) माल
का परिवहन करने पर ही लागू होगा, अर्थात माल का परिवहन राज्य के भीतर किया जा रहा
है तभी राज्य सरकार की संशोधित माल के मूल्य की सीमा लागू होगी, परंतु यदि माल एक
राज्य से दूसरे राज्य में अथवा केंद्र शासित प्रदेश में भेजा जा रहा है, तो उस पर ₹50000 की सीमा ही
लागू होगी इस चीज का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।
(6) अपंजीकृत व्यक्ति के लिए ई
वे बिल?
यह भी भ्रांति
कई लोगों में है कि, ई वे बिल बनाना केवल व्यापारी/करदाता का कार्य है। परन्तु ऐसा नहीं है, यदि कोई अपंजीकृत व्यक्ति भी किसी
माल का परिवहन कर रहा है, जिस माल का मूल्य ₹50000 से अधिक है, तो वह भी ई वे बिल बना
सकता है। उदाहरण यदि कोई व्यक्ति दिल्ली से ₹50000 या अधिक मूल्य का माल खरीदकर उसे
हरियाणा राज्य में ले जा रहा है, तो ऐसी स्थिति में क्योंकि पंजीकृत व्यापारी ने
माल की डिलीवरी उस अपंजीकृत व्यक्ति को दिल्ली में ही दे दी है, और वह अपंजीकृत
व्यक्ति माल हरियाणा ले जा रहा है, तो उस अपंजीकृत व्यक्ति की जिम्मेदारी होगी कि
वह ई वे बिल बनाएं।
(7) क्या वजन कराने के लिए जा रहा रहे माल का ई वे बिल बनेगा?
यह भ्रम भी कई
लोगों को होता है कि, जिस माल का इनवॉइस जारी नहीं हुआ है और उसका वजन कराना है, और
वजन कराने के बाद उसका इनवॉइस बनेगा, ऐसे माल के लिए ई वे बिल आवश्यक नहीं है। यह
भी मात्र एक भ्रम है। ईवे बिल के प्रावधानों में इसे स्पष्ट किया गया है कि, यदि
व्यापार स्थल से वेब्रिज (धर्म कांटा) की दूरी 20 किलोमीटर तक है,
और जीएसटी प्रावधानों के अनुरूप चालान बनाया गया है, तो ई वे बिल आवश्यक नहीं है।
लेकिन यदि दूरी 20 किलोमीटर से अधिक है अथवा माल वजन होने के लिए
एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहा है तो ऐसी स्थिति में उस माल का भी ई वे बिल
बनाया जाएगा।
(8) क्या ई-वे बिल से टैक्स निर्धारित होगा?
एक सीमा तक यह
बात सही है, लेकिन यह बात शत प्रतिशत सही नहीं है, क्योंकि ई वे बिल का मुख्य
उद्देश्य टैक्स निर्धारण करना नहीं है, बल्कि माल के परिवहन को मॉनिटर करना है,
जिससे कि माल का जो भी परिवहन हो रहा है वह रिकॉर्ड हो जाए। कई बार एक ही माल का
व्यापारी कई बार ई वे बिल बनाता है, इसका अर्थ यह नहीं है कि, वह जितनी बार ई वे
बिल बनाएगा उतनी बार उसका टैक्स देना होगा। माल व्यापारी अपने गोदाम से व्यापार
स्थल और व्यापार स्थल से गोदाम ला और ले जा सकता है, ऐसी स्थिति में यदि माल ₹50000 से अधिक मूल्य
का है, तो उसे ई वे बिल बनाना होगा, इस प्रकार ई वे बिल का मुख्य उद्देश्य केवल
ट्रांजैक्शन को मॉनिटर करना है, और इसी आधार पर कर निर्धारण होगा।
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