किसी परिवार के लिए यह एक बड़ी आपदा होती है, जब उस परिवार के मुखिया की किसी कारण वश मृत्यु हो जाती है । इस मानसिक आघात के बाद , अगली बड़ी सम...
किसी परिवार के लिए यह एक बड़ी आपदा होती है, जब उस परिवार के मुखिया की किसी कारण वश मृत्यु हो जाती है। इस मानसिक आघात के बाद, अगली बड़ी समस्या जो किसी व्यापारिक परिवार में आती है, वह उसके व्यापार से संबंधित होती है, कि फर्म स्वामी की मृत्यु पर जीएसटी कैसे ट्रान्सफर होगा।
यदि व्यापारी का जीएसटी विभाग में रजिस्ट्रेशन होता है, तो विभाग द्वारा जीएसटी नंबर जारी होता है। जीएसटी नंबर 15 डिजिट की संख्या होती है, इसमें पहली दो संख्या उस राज्य का कोड होती है, जिस राज्य में पंजीयन लिया गया है, जैसे कि यदि पंजीयन उत्तर प्रदेश में लिया गया है, तो पहले दो संख्या 09 होगी, यदि पंजीयन उत्तराखंड में लिया गया है तो 05 होगी, यदि दिल्ली का है तो 07 होगी, इसके बाद 10 डिजिट का पैन कार्ड का नंबर होता है।
यदि व्यापारिक फर्म, प्रोपराइटर फर्म है तो, फर्म स्वामी के पैन कार्ड की संख्या, उसके जीएसटी नंबर में होती है। ऐसी स्थिति में यदि किसी कारण से फर्म स्वामी की मृत्यु हो जाती है, तो उसका पैन कार्ड भी निष्क्रिय हो जाएगा, ऐसे में पुराने जीएसटी नंबर पर व्यापार नहीं किया जा सकता।
अब उस फर्म को एक नया जीएसटी नंबर लेना होगा, पुराने जीएसटी नंबर में यदि कोई आईटीसी बचा है तो उसका लाभ भी नये यह जीएसटी नंबर पर मिलेगा ।
नये जीएसटी नंबर किस प्रकार लिया जाएगा, पुराने जीएसटी नंबर में यदि कोई आईटीसी बचा है, तो उसे नए जीएसटी नंबर में किस प्रकार ट्रांसफर किया जाएगा, इसकी क्या प्रक्रिया होगी, जैसे अनेक प्रश्न है, जिसका उत्तर यहां पर क्रमबद्ध रूप से दिया गया है -
➤फर्म का उत्तराधिकारी एक नए रजिस्ट्रेशन की एप्लीकेशन, ऑनलाइन जीएसटी पोर्टल के माध्यम से दाखिल करेगा, जिसमें रजिस्ट्रेशन लेने का कारण "डेथ ऑफ द प्रोपराइटर" भी स्पष्ट रूप से देना होगा।
➤उत्तराधिकारी को नया रजिस्ट्रेशन प्राप्त हो जाने पर, उत्तराधिकारी द्वारा पूर्व फर्म का प्राधिकृत हस्ताक्षरी (ऑथराइज्ड सिग्नेटरी) बनने के लिए प्रार्थना पत्र देना होगा।
➤प्रार्थना पत्र के साथ पूर्व फर्म के फर्म स्वामी का डेथ सर्टिफिकेट और अन्य उत्तराधिकारी का अनापत्ति प्रमाण पत्र, नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी देना होगा। यह समस्त दस्तावेज उसे अपने क्षेत्राधिकारी जीएसटी ऑफीसर को देना होगा।
➤संबंधित अधिकारी
दस्तावेजों की जांच करने के बाद उत्तराधिकारी को पूर्व फर्म का ऑथराइज्ड सिग्नेटरी
बना देगा।
यह पूरी प्रक्रिया
जीएसटी अधिकारी द्वारा दाखिल किए गए दस्तावेजों को जीएसटी पोर्टल पर ऑनलाइन अपलोड
करके की जाएगी।
➤उत्तराधिकारी की पूर्व फर्म में ऑथराइज्ड सिग्नेटरी बनने के बाद उत्तराधिकारी जीएसटी पोर्टल पर ऑनलाइन ITC-02 दाखिल करेगा, और पूर्व फर्म की आईटीसी को अपनी नई फर्म ट्रांसफर करेगा।
विशेष- यह भी ध्यान देना होगा कि, यदि पूर्व फर्म की कोई देयता अभी बाकी है, तो उसकी जिम्मेदारी उत्तराधिकारी की मानी जाएगी।
➤इसके पश्चात उत्तराधिकारी द्वारा पूर्व फर्म का कैंसिलेशन एप्लीकेशन जीएसटी पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन दाखिल किया जाएगा। जिसमें फर्म के कैंसिल कराने का कारण "डेथ ऑफ द प्रोपराइटर" देना होगा। जिस फर्म को बिजनेस ट्रांसफर किया जा रहा है उस फर्म के जीएसटी नंबर को भी एप्लीकेशन में लिखा जाएगा।
➤इसके पश्चात अधिकारी द्वारा दाखिल एप्लीकेशन की जांच करने के पश्चात पूर्व फर्म को कैंसिल कर दिया जाएगा, और यह प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी, पूर्व फर्म के समस्त देयता, और बची हुई आईटीसी नई फर्म को ट्रांसफर हो जायेगी।
अतिरिक्त जानकारी के लिए कृपया जीएसटी विभाग द्वारा जारी सर्कुलर संख्या- 96/15/2019/ GST, दिनांक - 28 मार्च 2019 को देखे।
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