किसी भी प्रकार का व्यापार या स्वरोजगार करने वाले व्यक्ति के मन में जीएसटी को लेकर अनेक प्रश्न होते हैं कि जीएसटी कितने लाख तक फ्री है , या ...
➤क्या उसे जीएसटी में पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) लेना चाहिये?
➤कितना कारोबार जीएसटी
पंजीकरण के लिए आवश्यक है?
➤जीएसटी में पंजीयन
(रजिस्ट्रेशन) कब लेना चाहिये?
➤जीएससी रजिस्ट्रेशन लेने
के फायदे अर्थात जीएसटी नंबर (GSTIN) से
क्या फायदा है?
➤जीएसटी पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन)
के लाभ और रजिस्ट्रेशन न लेने के नुकसान क्या है?
➤जीएसटी पंजीयन
(रजिस्ट्रेशन) की सीमा क्या है?
➤जीएसटी कितने लाख तक फ्री है?
इस आर्टिकल में यह प्रयास किया गया है कि व्यापार या स्वरोजगार करने वाले व्यक्ति के इन सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जा सके।
कब जीएसटी में पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) लेना अनिवार्य है-
जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कितने एग्रीगेट टर्नओवर के बाद लेना चाहिए या सामान्य भाषा मे जीएसटी कितने लाख तक फ्री है, एग्रीगेट टर्नओवर के आधार पर -
जीएसटी पंजीयन
(रजिस्ट्रेशन) की सीमा क्या है? अर्थात कितना
कारोबार जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक है? इसका
उत्तर है कि, यदि कोई व्यक्ति किसी कर योग्य माल
(वस्तु) अथवा सेवा (सर्विस) की सप्लाई करता है, और वित्तीय वर्ष में उसका एग्रीगेट टर्नओवर 20 लाख रुपए से अधिक है, तो उसे अनिवार्य रूप से जीएसटी का पंजीयन
(रजिस्ट्रेशन) लेना होगा।
विशेष- एक व्यक्ति द्वारा
यदि अपने अकाउंट से, अथवा एक ही पैन नंबर से, भारत के किसी भी राज्य में माल या सेवा की सप्लाई कर रहा
है, तो सभी राज्यों में की गई उसकी सप्लाई को एग्रीगेट
टर्नओवर में शामिल कर लिया जाएगा।
विशेष- कुछ विशेष वर्ग के राज्यों में यह सीमा 10 लाख की है।
फर्म का ट्रांसफर अथवा
विलय होने पर-
➤इसी प्रकार यदि कोई
रजिस्टर्ड फर्म का ट्रांसफर अथवा विलय हो रहा है, तो फर्म को नया पंजीयन
(रजिस्ट्रेशन) लेना होगा।
➤यदि किसी फर्म के फर्म
स्वामी की मृत्यु हो गई है, अथवा किसी भी अन्य कारण से फर्म का स्वामित्व ट्रांसफर
हो रहा है, तो नए व्यक्ति को जिसे फर्म का स्वामित्व मिल रहा है, नया पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) लेना
अनिवार्य होगा।
यहां विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि, जी.एस.टी.आई.न.(GSTIN) जिसे सामान्य भाषा में जीएसटी नंबर कहा जाता है, यह 15 डिजिट का एक नंबर होता है, जिसमें पहले 2 डिजिट राज्य का कोड होती हैं।
जिस राज्य में पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) लिया जाता है, उस राज्य का कोड जी.एस.टी.आई.न.(GSTIN) में सबसे पहले होता है, जैसे कि यदि कोई व्यक्ति उत्तराखंड में पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) ले रहा है, तो उसका पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) 05 से शुरू होगा, यदि उत्तर प्रदेश में ले रहा है तो 09 से शुरू होगा।
इसके बाद के 10 डिजिट उस व्यक्ति अथवा फर्म का पैन नंबर होता है, इसी कारण यदि फर्म का स्वामित्व चेंज हो रहा है, तो नए फर्म स्वामी के पैन कार्ड का नंबर उसके जीएसटी नंबर में शामिल होगा, इसी कारण स्वामित्व बदलने पर जीएसटी नंबर भी बदल जाता है।
कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में-
कुछ विशिष्ट परिस्थितियां
होती हैं, जब किसी व्यक्ति का टर्नओवर भले ही 20 लाख से कम हो, उसे अनिवार्य रूप से जीएसटी
रजिस्ट्रेशन लेना होता है, ऐसी परिस्थितियां नीचे दी गई है-
➤यदि कोई व्यक्ति राज्य के बाहर माल अथवा सेवा की सप्लाई कर रहा है।
➤यदि कोई व्यक्ति पंजीकृत
से खरीद कर रहा है और रिवर्स चार्ज के रूप में टैक्स जमा कर रहा है।
➤यदि कोई अनिवासी भारतीय (एन
आर आई) कर योग्य माल (टैक्सेबल गुड्स) की सप्लाई कर रहा है, तो उसे कार्य प्रारंभ
करने के 5 दिन के
भीतर पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) लेना अनिवार्य
है।
➤ई-कॉमर्स ऑपरेटर जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेंगे।
➤यदि कोई व्यक्ति किसी
मेला प्रदर्शनी या सेल में कर योग्य माल की बिक्री कर रहा है तो ऐसी स्थिति में
उसे कार्य प्रारंभ करने के 5 दिनों के भीतर कैजुअल टैक्सपेयर के रूप में पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) लेना अनिवार्य है।
➤यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य जीएसटी पंजीकृत व्यक्ति की और से किसी कर योग्य माल अथवा सेवा की सप्लाई करता है तो उसे भी पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) लेना होगा।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेने के फायदे -
जीएससी रजिस्ट्रेशन के फायदे अर्थात जीएसटी नंबर से क्या फायदे हैं। जीएसटी पंजीकरण के लाभ क्या हैं और जीएससी रजिस्ट्रेशन न लेने के नुकसान क्या हैं?
➤जीएसटी का रजिस्ट्रेशन लेने से व्यक्ति को आईटीसी का लाभ मिलता है, इसी प्रकार समझा जा सकता है कि, यदि कोई व्यक्ति अपना व्यापार कर रहा है, तो वह किसी माल की खरीद करेगा और उसे बेचेगा। यदि व्यक्ति ने ₹100000 का माल खरीदा, और उस माल पर 18% की जीएसटी दिया, तो उसने कुल ₹118000 देकर माल खरीदा, यदि व्यक्ति पंजीकृत है तो, ₹18000 को जो टैक्स उसने अपने सप्लायर को दिया है, इसका लाभ आईटीसी के रूप में उसे मिलेगा अर्थात यदि उसका टैक्स ₹19000 बन रहा है, तो वह इस 18000 का लाभ लेने के बाद मात्र ₹1000 टैक्स के रूप में चुकाएगा।
➤मैनुफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, उत्पादन कर रही बड़ी फर्मों को अपने विभिन्न कार्यों के लिए अनेक वेंडर, जॉब वर्कर, सप्लायर, की आवश्यकता होती हैं। ये कंपनियां ऐसे व्यक्तियों को प्राथमिकता देती हैं, जो जीएसटी में पंजीकृत होते हैं, क्योंकि जीएसटी में पंजीकृत व्यक्तियों के साथ कार्य करने से कंपनियां अपने क्रेडिट चेन को बना पाती हैं और उन्हें एकाउंटिंग और बिलिंग करने में भी उन्हें आसानी होती है।
➤जीएसटी में पंजीकरण करवाने के बाद आप अपना माल अपने राज्य से बाहर भी भेज सकते हैं और अपने व्यापार का आसानी से विस्तार कर पाएंगे।
➤जीएसटी का पंजीकरण लेने के बाद किसी व्यापार में ली जाने वाली वस्तु और सेवा दोनों पर व्यक्ति के द्वारा चुकाए गए कर का क्रेडिट मिलता है, इस प्रकार जीएसटी में पंजीकृत होने पर कोई भी क्रेडिट बर्बाद नहीं होता और उसका लाभ मिल जाता है।
➤जीएसटी का पंजीकरण लेने
के बाद जीएसटी एक्ट के अंतर्गत व्यक्ति और उसके द्वारा किये जा रहे खरीद और बिक्री
की वैधानिक पहचान होती है, व्यक्ति जीएसटी एक्ट के अंतर्गत टैक्स इनवाइस जारी कर
सकता है और टैक्स एकत्र कर सकता है।
➤जीएसटी का पंजीकरण लेने के बाद, व्यापार में यदि पैसे की आवश्यकता होती है, तो बैंक अपंजीकृत व्यक्ति की तुलना में जीएसटी में रजिस्टर्ड व्यक्ति को लोन आसानी से देता है।
➤जीएसटी में रजिस्ट्रेशन लेने पर ₹500000 तक का दुर्घटना बीमा का कवर भी सरकार की ओर से मिलता है।
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