ई वे बिल के प्रावधानों को बहुत ही सरल और सामान्य भाषा में इस लेख में समझाने का प्रयास किया गया है, जो कि निश्चित रूप से एक व्यापारी, ट्रांसप...
ई वे बिल के प्रावधानों को बहुत ही सरल और सामान्य भाषा में इस लेख में समझाने का प्रयास किया गया है, जो कि निश्चित रूप से एक व्यापारी, ट्रांसपोर्टर, अथवा जागरूक नागरिक होने के नाते आपको जानना चाहिए कि -
🔰 ई वे बिल क्या है 🔰 ई वे बिल की आवश्यकता क्यों है 🔰 ई वे बिल कौन बनाएगा 🔰 ई वे बिल के नियम क्या हैं
ई वे बिल क्या है (What is Eway Bill ):-
ई वे बिल एक इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था है, जिसमें माल का परिवहन करते समय जारी इनवॉइस (बिल) के आधार पर, माल की और वाहन की जानकारी को दर्ज किया जाता है, परिवहन की दूरी के आधार पर ईवे बिल की वैधता निर्धारित होती है, वैधता अवधि के भीतर उस माल का परिवहन ई वे बिल के अनुरूप किया जा सकता है I
ई वे बिल की आवश्यकता ( Requirement of eway bill ) :-
जीएसटी से पूर्व भारत में प्रत्येक राज्य के अपने वैट(मूल्य वर्धित कर)/बिक्री कर अधिनियम थे, इसके अतिरिक्त केंद्रीय अधिनियम भी थे,जिससे एक राज्य से दूसरे राज्य में माल का परिवहन करते समय विभिन्न राज्यों के अलग-अलग फार्मो/बहती(ट्रांजिट पास) का प्रयोग किया जाता था, कई राज्यों में जांच चौकिया भी थी, जहां वाहनों की जांच की जाती थी, ऐसे में व्यापार करने वाले व्यक्ति से जो कि माल का परिवहन एक राज्य से दूसरे राज्य में करता था, गलती हो जाने की संभावनाएं रहती थी, जिसका मूल्य उसे पेनल्टी देकर चुकाना होता था I इसी प्रकार जांच चौकियों पर गाड़ी के डॉक्यूमेंट और माल की जांच की मानवीय व्यवस्थाएं थी, जिसमें बहुत समय लगता था, और ट्रांसपोर्टेशन का व्यय भी बढ़ जाता था, जिसका अंतिम प्रभाव माल के मूल्यों पर पड़ता था I
जीएसटी में इन समस्याओं को दूर करने के लिए ई वे बिल का सिस्टम लाया गया, जिसके नियम सभी राज्यों में एक जैसे हैं, जो कि इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग की व्यवस्था है, जिससे जांच चौकियों को भी समाप्त कर दिया गयाI
अब केरल का व्यापारी जम्मू कश्मीर तक अपने माल का परिवहन मात्र एक ई वे बिल के आधार पर कर सकता है, और अलग-अलग राज्यों में उसे न तो उसे जांच चौकियों का सामना करना होगा, और नहीं अलग-अलग राज्यों के वैट(मूल्य वर्धित कर)/बिक्री कर के नियमों को जानना होगा, इससे न सिर्फ संपूर्ण माल का परिवहन आसान हुआ, बल्कि परिवहन व्यय भी कम हो गया, और पूरा देश एक बाजार के रूप के रूप में स्थापित हुआ, जो कि जीएसटी की मूल अवधारणा है I
ई वे बिल कौन बनाएगा (who will generate eway bill ):-
👉प्रत्येक पंजीकृत व्यक्ति जो पचास हजार या उससे अधिक मूल्य के माल का परिवहन कर रहा है, तो उसका ई वे बिल बनाया जाएगा, पंजीकृत व्यक्ति के अतिरिक्त ट्रांसपोर्टर अथवा पंजीकृत व्यक्ति द्वारा अधिकृत व्यक्ति भी ई वे बिल बना सकता है, ई-कॉमर्स ऑपरेटर और कुरियर एजेंसी भी ई वे बिल बना सकते हैं I
विशेष :- 50000 के कंसाइनमेंट मूल्य जिस पर ई वे बिल बनेगा, उसके मूल्य का निर्धारण सभी टैक्स, सर चार्ज, सेस आदि को जोड़कर किया जाएगा ।
👉यदि माल जॉब वर्क के लिए दूसरे राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में जा रहा है, या जॉब वर्क के बाद वापस आ रहा है, तो ऐसी स्थिति में माल का मूल्य 50000 से कम भी है, तो भी उसका ई वे बिल बनाया जाएगा, ऐसी स्थिति में ई वे बिल प्रिंसिपल (जॉब वर्क के लिये माल भेजने वाला) व्यापारी अथवा जॉब वर्कर (यदि वह पंजीकृत है) द्वारा बनाया जाएगा I
👉हैंडीक्राफ्ट गुड्स का परिवहन यदि एक राज्य से दूसरे राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश में हो रहा है, तो भले ही व्यापारी पंजीकृत न हो और माल का मूल्य पचास हजार से कम हो, उसका भी ई वे बिल बनाया जाएगा I
ई वे बिल के नियम -
👉ईवे बिल के इस भाग को समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है प्रायः लोग इसमें भ्रमित हो जाते हैं, ई वे बिल के 2 भाग होते हैं, प्रथम भाग (पार्ट-A) में माल और इनवॉइस से संबंधित सभी विवरणों को दर्ज किया जाता है, दूसरे भाग (पार्ट-B) में वाहन संख्या दर्ज की जाती है, जिससे माल का परिवहन किया जाना है I
👉यदि किसी व्यापारी अथवा कंपनी का माल किसी ट्रांसपोर्टर के द्वारा ट्रांसपोर्ट किया जाएगा, और कंपनी / व्यापारी के व्यापार स्थल से ट्रांसपोर्टर के स्थल की दूरी 50 किलोमीटर से कम है, और दोनों एक ही राज्य में स्थित है, तो व्यापार स्थल से ट्रांसपोर्ट स्थल तक माल के परिवहन के लिए पार्ट बी का भरा होना आवश्यक नहीं है, व्यापारी मात्र ई वे बिल का प्रथम भाग (पार्ट-A) भरकर एक UIN (यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर) बनाएगा और उस पार्ट-A यूआईएन के साथ माल को ट्रांसपोर्टर के पास, आगे ट्रांसपोर्ट होने के लिए भेज देगा, यदि व्यापारी चाहे तो पार्ट-A और पार्ट-B वह स्वयं भी भर सकता है, अथवा पार्ट-B भरने के लिए ट्रांसपोर्टर को अधिकृत कर सकता है । एक बार जब पार्ट-A जनरेट हो जाता है तो, पार्ट-B भरने के लिए वह 15 दिनों तक उपलब्ध होता है । यदि 15 दिनों के भीतर उस पार्ट-A यूआईएन पर पार्ट-B अपडेट नहीं किया जाता तो वह पार्ट-A यूआईएन समाप्त हो जाता है, ऐसी स्थिति में पुनः नया पार्ट-A जनरेट करना होगा ।
👉यदि माल का परिवहन रेलवे, वायुयान या जलयान से किया जा रहा है तो, पार्ट बी माल भेजने अथवा प्राप्त करने वाले रजिस्टर्ड व्यक्ति को ही भरना होगा ।
👉यदि माल का परिवहन रेलवे द्वारा किया जा रहा है तो माल की डिलीवरी रेलवे द्वारा तब तक नहीं दी जाएगी जब तक उस माल के संबंध में ईवे बिल प्रस्तुत नहीं किया जाएगा ।
👉पंजीकृत व्यक्ति या ट्रांसपोर्टर 50,000 से कम मूल्य के माल का भी ई वे बिल बना सकते हैं, यदि माल का परिवहन पंजीकृत व्यक्ति द्वारा अपने अथवा किराए पर लिए गए वाहन के द्वारा किया जा रहा है तो, वह व्यक्ति अथवा ट्रांसपोर्टर उस माल के संबंध में ई वे बिल बना सकते हैं ।
👉यदि किसी अपंजीकृत सप्लायर द्वारा किसी पंजीकृत व्यक्ति को माल भेजा जा रहा है, तो ई वे बिल बनाने की जिम्मेदारी पंजीकृत व्यक्ति की होगी ।
👉पार्ट-B भरने के बाद ही ई वे बिल नंबर (EBN) जनरेट होगा, और माल का माल परिवहन किया जा सकेगा (परंतु यदि माल ट्रांसपोर्टेशन के लिए व्यापारी के व्यापार स्थल से ट्रांसपोर्टर के पास एक ही राज्य की सीमा में जा रहा है, और दूरी 50 किलोमीटर से कम है तो मात्र पार्ट-A पर भी माल जा सकेगा) ।
👉यदि माल का परिवहन कई ट्रांसपोर्टरों द्वारा किया जा रहा है, तो प्रथम ट्रांसपोर्टर जब दूसरे ट्रांसपोर्टर को माल देगा तो वह पार्ट बी की जानकारी को अपडेट करने के लिए दूसरे ट्रांसपोर्टर को अधिकृत कर देगा, और दूसरा ट्रांसपोर्टर जब माल तीसरे ट्रांसपोर्टर को देगा तो वह पार्टी बी की जानकारी अपडेट करने के लिए तीसरे ट्रांसपोर्टर को अधिकृत कर देगा, एक बार अधिकृत कर देने के पश्चात पहले वाला ट्रांसपोर्टर पार्टी बी की जानकारी में कोई भी अपडेशन नहीं कर सकेगा, एक ट्रांसपोर्टर दूसरे को तभी अधिकृत कर सकेगा जब वह ट्रांसपोर्ट भी ई वे बिल पोर्टल पर पंजीकृत होगा
👉प्रत्येक इनवॉइस के लिए एक ई वे बिल होगा, ऐसी स्थिति में संभव है कि, एक वाहन पर कई इनवॉइस और ई वे बिल का माल हो, ऐसे में ट्रांसपोर्टर उन सभी ई वे बिल से ई वे बिल पोर्टल के पर एक कंसोलिडेटेड ई वे बिल बना लेगा, उस कंसोलिडेटेड ई वे बिल में समस्त दर्ज किए गए ई वे बिल की जानकारी होगी
👉यदि ई वे बिल बना दिया गया है, लेकिन किसी कारण से माल का ट्रांसपोर्टेशन नहीं हो पाया है, तो 24 घंटे के भीतर ई वे बिल को कैंसिल किया जा सकता है, लेकिन यदि किसी अधिकारी द्वारा उस ई वे बिल को परिवहन करते समय वेरीफाई कर दिया गया है, तब उसे कैंसिल नहीं किया जा सकता
👉ई वे बिल की वैधता परिवहन की जा रही दूरी पर निर्भर होती है, ई वे बिल 100 किलोमीटर पर 1 दिन के हिसाब से वैलिड होगा परन्तु ओवर डाइमेंशनल कार्गो की स्थिति में प्रति 20 किलो मीटर पर 1 दिन के हिसाब से वैलिड होगा, वैलिडिटी की समाप्ति उस दिन की मध्य रात्रि को होगी ।
नोट- दिनांक - 01/01/21 से ई वे बिल 200 किलोमीटर पर 1 दिन के हिसाब से वैलिड होगा ।
उदाहरण- यदि 10 तरीख को सुबह 7 बजे एक ई वे बिल बनाया जाता है जिसमें दूरी 110 किलोमीटर दी जाती है तो प्रथम 100 किलोमीटर के लिए 24 घंटे और अगले 10 किलोमीटर के लिए भी 24 घंटे आवंटित होंगे, इस प्रकार उसकी वैधता 12 तारीख को सुबह 7:00 बजे तक होनी चाहिए, लेकिन क्योंकि वैधता सदैव मध्यरात्रि को समाप्त होती है, अतः उसकी वैधता 12 तारीख को रात 12:00 बजे समाप्त होगी ।
विशेष :- वर्तमान में ई वे बिल पोर्टल द्वारा दूरी पिनकोड के आधार पर निर्धारित की जाती है, जिसमें मात्र 10% का ही समायोजन व्यापारी अथवा ट्रांसपोर्टर द्वारा किया जा सकता है, अर्थात यदि पिनकोड के आधार पर दूरी 300 किलोमीटर निर्धारित की जाती है, तो समायोजन मात्र प्लस/माइनस 30 किलोमीटर का ही किया जा सकता है ।
👉यदि किसी कारणों से ई वे बिल में निर्धारित वैधता के अंतर्गत माल का परिवहन नहीं किया सका है, तो ई वे बिल की वैधता समाप्ति के 8 घंटे के भीतर ई वे बिल के पार्ट बी को अपडेट करके उसकी वैधता बढ़ाई जा सकती है ।
👉ई वे बिल में दी गई जानकारी प्राप्तकर्ता, आपूर्तिकर्ता और ट्रांसपोर्टर को उनके ई वे बिल पोर्टल पर उपलब्ध होगी, यदि ई वे बिल प्राप्तकर्ता ने बनाया है तो, आपूर्तिकर्ता को उस में दी गई जानकारी उसके पोर्टल पर उपलब्ध होगी, और वह 72 घंटे अथवा ई वे बिल की वैधता समाप्ति, जो पहले हो के भीतर ई वे बिल को रिजेक्ट कर सकत है इसी प्रकार यदि आपूर्तिकर्ता ने ई वे बिल बनाया है, तो प्राप्तकर्ता उसे उक्त समय सीमा के अंतर्गत रिजेक्ट कर सकता है ।
👉ई वे बिल पोर्टल पर बनाया गया, यह ई वे बिल सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वैध होगा ।
👉माल के परिवहन के समय वाहन चालक को इनवॉइस/बिल/अथवा डिलीवरी चालान के साथ ई वे बिल का प्रिंट रखना होगा, वह चाहे तो मात्र ई वे बिल नंबर भी अपने पास कहीं लिखा हुआ अथवा डिजिटल फॉर्म में रख सकता है, आयातित माल के साथ वाहन चालक को बिल आफ एंट्री की प्रति भी रखनी होगी ।
👉यदि जीएसटी अधिकारी वाहन की जांच करता है तो, वाहन चालक को उसे इनवॉइस और अन्य दस्तावेज साथ में ई वे बिल नंबर देना होगा, और अधिकारी उस ई वे बिल नंबर को वेरीफाई करेगा ।
👉यदि जीएसटी अधिकारी आधे घंटे से अधिक समय तक वाहन को रोके रखता है तो ट्रांसपोर्टर इस सूचना को ई वे बिल पोर्टल के माध्यम से अपलोड कर सकता है।
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